ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 5

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 5 सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं शायद बातचीत से डरते बहुत हैं मन्दिर-मस्जिद की आड़ लेकर मासूमों पर जुल्म करते बहुत हैं देशभक्त आपके अलावे और भी हैं ऐसा कहें तो आप बिगड़ते बहुत हैं रस्मों-रिवाज़ …

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 शब्द-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

शब्द-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal शब्द अगर इतने ही समझदार होते तो खुद ही गीत, कविता, कहानी, नज़्म, संस्मरण या यात्रा-वृतांत बन जाते शब्द बच्चों की तरह नासमझ और मासूम होते हैं जिन्हें भावों में पिरोना पड़ता है आहसासों में संजोना पड़ता है एक अक्षर के हर-फेर से पूरी रचना …

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है साहस तो बढ़ना कभी-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

है साहस तो बढ़ना कभी-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal है साहस तो बढ़ना कभी औरत के देह से भी आगे, जिसकी अस्थि-मज्जा तक तुम भींच चुके देह की पिपासा के बाहर स्त्रियों का मन है जहाँ तुम्हारे कदम लड़खड़ा जाते हैं क्योंकि तुम्हें वहाँ तुम्हारे खोखले आदर्शों को चुनौती मिलती …

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घर के काम-काज से-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

घर के काम-काज से-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal घर के काम-काज से निपट कर औरतें दोपहर में क्या बातें करती होगी शायद अपने पतियों की तंगी हालत बच्चों की पढ़ाई का खर्चा ससुर का इलाज सास के ताने ननद के बहाने देवर के सताने के बारे में ही बातें करती …

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 जाना कभी उन गलियों में-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

जाना कभी उन गलियों में-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal जाना कभी उन गलियों में जहां तुम्हें मनाही है पर तुम जाना और सच देखना जो मनाही की आड़ में छिप जाता है उसे रंडीखाना, वेश्यालय, कोठा और पता नहीं क्या-क्या कहते है तुम नाम में मत फँसना वरना सच को …

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-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal

कभी देखना मेरी नज़र से-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal कभी देखना मेरी नज़र से उन अँधेरे-बंद कमरों को जहाँ तुम मुझे कैद करते हो मेरे स्तनों को रौंदते हो मेरी योनि को चीरते हो और अपनी मर्दानगी का दम्भ भरते हो कभी करना महसूस उन घावों को जो मैंने अपने …

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क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal एक मात्र शाश्वत सत्य यही, शिव के त्रिनेत्र का रहस्य यही, चंडी का नैसर्गिक रौद्र नृत्य यही, कृष्णा सा श्यामला, राधा सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा सा इसका भी विषपान किया जाए। ये अनादि है, ये …

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स्त्री मात्र शून्य है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

स्त्री मात्र शून्य है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal जिस्मों की हिस्सेदारी में मेरा और उसका ये अनुपात था कि उसको मेरे बाल, होंठ, गाल, स्तन, पेट, नितम्ब, जाँघ, योनि और टाँगों से खेलने और उनको खोलने की पूरी आज़ादी थी और मेरे हिस्से में थी उसके किए प्यार के उपरान्त …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 2

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 2 जिसे जन्नत कहते हैं, वो हिन्दुस्तान हर घड़ी दिखाएँगे कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को, मगरूर बहुत है रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे किस्सों …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 1

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 1 वो सीने से लगकर यूँ रो दिए वो सीने से लगकर यूँ रो दिए जितने भी पाप थे, सारे धो दिए छूके अपनी जादुई निगाहों से जवानी के कितने वसंत बो दिए हर पल हीरा हर पल जवाहरात अपनी ज़िंदगी के पल उसने जो …

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