आ गया पावन दशहरा-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

आ गया पावन दशहरा-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh फिर हमें संदेश देने आ गया पावन दशहरा तम संकटों का हो घनेरा हो न आकुल मन ये तेरा संकटों के तम छटेंगें होगा फिर सुंदर सवेरा धैर्य का तू ले सहारा द्वेष हो कितना भी गहरा हो न कलुषित मन यह तेरा …

Read more

आओ ज्योति-पर्व मनाएँ-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

आओ ज्योति-पर्व मनाएँ-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh प्रेम दीप घट-घट में जगाकर जन मन तिमिर मिटाएँ बाती बुझ गई जो आशा की फिर से उसे जगाएँ बिछड़ी सजनी को हम उसके साजन संग मिलाएँ आओ ज्योति-पर्व मनाएँ जगमग-जगमग दीप की माला ऐसा भाव जगाए नभ मंडल के तारांगण ज्यों उतर धरा …

Read more

स्वतंत्रता दिवस पर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

स्वतंत्रता दिवस पर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh विघटन की आँधी आज जोर हिल रहा देश का ओर छोर है भड़क उठा फिर जातिवाद कहीं भाषा कहीं प्रान्तवाद गाँधी के सपने चूर – चूर कर मंदिर मस्जिद का विवाद खंडित है मानवता लाचार गोधरा मे गूँजे आर्तनाद इस लोकतंत्र के मंदिर पर …

Read more

दीप का संदेश-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

दीप का संदेश-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh दीप का संदेश है यह प्रीत का अनुदेश है यह दीपमाला अनगिनत हों टिमटिमाता दीप न हो हो प्रखर ज्योती निराली यों मनाएँ हम दीवाली दीप हम ऐसे जगाएँ स्वप्न सोये जाग जाएँ द्वेष तम मिट जाए जग से इस धरा पर प्रेम सरसे

तेरा मेरा नाता-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

तेरा मेरा नाता-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh हर दीपक की ज्योति बताती तेरा मेरा नाता वह नाता जो सदा है पावन ना कभी अपावन होता आँधी से लडता है फिर भी मात नहीं जो खाता अमाँ का गहरा कालापन भी जिसको नहीं डिगाता तेजस्वी बन दीप शिखा सम जग आलोकित करता …

Read more

दीप प्रकाश-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

दीप प्रकाश-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh बहुत साल पहले गाँव में घर-घर जाकर वह मिट्टी के रंग बिरंगे दिये बेचा करता अब वह थक-सा गया है कुछ नहीं करता केवल घर में ही बैठा रहता है ऑखों में बुझी बाती रख फिर भी गाँव के हर घर से जलते दियों का …

Read more

दिवाली दोहे-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

दिवाली दोहे-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh पर्व दिवाली आ रहा खुशियाँ लिए अधीर। कान गुदगुदी कर गया शीतल मंद समीर।। वर्षा दे गई शरद को दीवाली सौग़ात। शस्य श्यामला सज धरा फूली नहीं समात।। चंचल मन ज्योती कहूँ सकुचत कहूँ लजात। पनघट पर की दीपिका पवन छुए लहरात।। तमसो मा ज्योतिर्गमय …

Read more

होली की पूर्णिम संध्या पर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

होली की पूर्णिम संध्या पर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh होली की पूर्णिम संध्या पर आज मेरा एकाकी मन, मुखरित हुआ है ऐसे जैसे राधा ने पाया मोहन सपनों में बसने वाले ने धूम मचाई हैं नयनन, बरसाने में खेली जैसे राधा होली संग किशन गाल गुलाल से लाल हुए हैं सतरंगों …

Read more

 कहाँ छिपे चितचोर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

कहाँ छिपे चितचोर-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh बदरा गरजे चपला चमके नभ छाई घटा घनघोर रिमझिम रिमझिम बदरा बरसे स्मृतियों का जोर अंधियारे में डूबी दिशाएं मन डरपत जैसे चोर दूर दूर तक बाट न सूझे ढूँढूँ कहाँ किस ओर छुपे पखेरू सूना जंगल बन मोर मचाए शोर चौपाए सब खड़े …

Read more

दीदी गौरैया-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh 

दीदी गौरैया-सत्यनारायण सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Satyanarayan Singh यह भोली भाली गौरैय्या कितनी है ये प्यारी मैय्या नित्य सुबह यह हमें जगाती निज चहकन में विहग सुनाती इसे वाटिका नहीं है भाती क्योंकि इसके हम हैं साथी तिनका तिनका चुनकर लाती घर ही में घोंसला बनाती जब हम रोते तब चुप रहती जब …

Read more