प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh खुशियाँ कम हैं-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh उससे पहले ही पुकार लेना-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh आसमान-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh आत्मकथ्य-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi …

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खुशियाँ कम हैं-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

खुशियाँ कम हैं-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   खुशियाँ कम हैं गम ज्यादा हैं खुशियों को सुलगाना होगा दर्द का हिमखंड पिघलाना होगा गीत कोई तो गाना होगा आवाज़ भले भर्राई हो आँख डबडबा आई हो यादों को महकाना होगा सन्नाटे को गुंजाना होगा गीत कोई तो… सरगम के …

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उससे पहले ही पुकार लेना-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

उससे पहले ही पुकार लेना-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   सर्द रात में सन्नाटा जो पसरा रहता है गलियों में देखना हमारे बीच ही न आ पसरे करते रहना चौकस मुझे वाचमैन सी सोटी खड़का कर हिमालय की बर्फ न जमने पाए बीच हमारे डालते रहना नया जलावन बातों …

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आसमान-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

आसमान-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   बहुत पहले तुम अनंत थे फिर हुए कुछ छोटे लगभग मेरे शहर जितने फिर कुछ और छोटे हुए मेरे मोहल्ले जितने फिर सिमटे और रह गए मेरे आँगन जितने और अब रह गए हो उतने ही जितना दिखता है टुकड़ा रौशनदान से पर …

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आत्मकथ्य-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

आत्मकथ्य-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   मेरे विकलांग होने से घर और दादी कभी अकेले नहीं होते मां समझ गई है फर्क सपने और हकीकत का मेरे विकलांग होने से पिता के दांये हाथ की जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं मेरे विकलांग होने से भाई ने पाया है एक …

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वक़्त-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

वक़्त-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   सोचता हूँ अक्सर कि मैं वक़्त काटता हूँ कि वक़्त मुझे… पता नहीं- पर टुकड़े टुकड़े कम होता जा रहा हूँ मैं।  

एलर्जिक रंग-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

एलर्जिक रंग-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   दिवाली का फुस्स पटाखा हूँ होली का – एलर्जिक रंग लोहड़ी की – गीली लकड़ी बैसाख की – बेमौसम बरसात हूँ मैं सिर्फ विकलांग नहीं हूँ।  

अकेलापन-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

अकेलापन-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   आँख बंद करके जिधर महसूस हुई छुअन मैंने मुस्कुरा कर कहा हवा हवा संग आँख-मिचौली खेलता हूँ अक्सर इस तरह ही काटता हूँ अकेलापन तुम्हें लगता है खूब आराम में हूँ मैं।  

ताकत-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

ताकत-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   पंखे की हवा में पन्ना पलटना भी है दुश्वार ऐसे तो तूफानी हौंसले हैं मेरे लोग जाने कैसे मुझ में अपनी ताकत देखते हैं।  

पृथ्वी-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh

पृथ्वी-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh   कत्ल आत्महत्याएँ शोषण बलात्कार लूट अन्याय झगड़े युद्ध ख़ुशी मस्ती सुख प्यार दोस्ती ममता हँसी उल्लास पृथ्वी तुम्हें क्या मतलब इन सबसे तुम्हारा काम घूमना है केवल पृथ्वी! काश मुझे भी दे पाती तुम अपनी धुरी पर घूमने का हुनर।