कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

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स्वभाव-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

स्वभाव-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   कुत्ते— सिर्फ़ क्वाँर में ही हो पाते हैं आदमी जब कि आदमी वर्ष भर क्वाँर में ही बना रहता है।  

साक्षात् के लिए-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

साक्षात् के लिए-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   हवाएँ पीपल पर अपनी प्रार्थनाएँ टाँग सूर्यास्त का पीछा करते हुए आकाश के भी आकाश में गरुड़ों सी चली गई हैं। देखना, अभी वे लौटेंगी क्योंकि पृथिवी ही। सबको अर्थ और संदर्भ देती है। यह पृथिवी ही है। जो शून्य को …

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सशंकित-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

सशंकित-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   उसे देख— वन के वृक्षों का मृगों की भाँति सशंकित होना स्वाभाविक था पर वनों में भीतर दौड़ जाना तो नहीं; क्योंकि वह मनुष्य कहाँ था वह तो कुल्हाड़ी था।  

सम्राज्ञी का आगमन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

सम्राज्ञी का आगमन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   प्राची के दुर्ग-कपाट खोलकर आकाश के नीलम-प्रासाद में यह कौन गंधर्व-व्यक्तित्व भैरवी-राग-सा आकर खड़ा हो गया है? याम और पल की छोटी-छोटी संगमरमरी सीढ़ियाँ चढ़ते इस वसंत-वर्णी राग-कन्या की समुद्रों पर परछाईं पड़ रही है। और उफनाता समुद्र-जल गुलाल ही गुलाल …

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विलयन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

विलयन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   शब्द मुझ तक आया और बोला, —मुझे अपनी भाषा नहीं स्वत्व बनाओ। और वह अपने भाषा-व्यक्तित्व पर से अर्थ उतारने लगा। जैसे अर्थ केंचुल था। मैं नहीं समझ पा रहा था, कि क्यों वृक्ष, सहसा अपनी छालें उतारने लगे थे। क्यों नदी, अपनी …

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यायावर से-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

यायावर से-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   ले गए तुम कई बार साथ में हमें अपनी यात्राओं पर चित्रकूट, वृंदावन, सौराष्ट्री सागर-तट या कहीं और भी, पर यह कौन-सी यात्रा है यायावर! जहाँ तुमने अकेले ही असंग जाने का निर्णय लिया, और चल भी दिए?  

यह सोनजुही-सी चाँदनी-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

यह सोनजुही-सी चाँदनी-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   यह सोनजुही-सी चाँदनी नव नीलम पंख कुहर खोंसे मोरपंखिया चाँदनी। नीले अकास में अमलतास झर-झर गोरी छवि की कपास किसलयित गेरुआ वन पलास किसमिसी मेघ चीखा विलास मन बरफ़ शिखर पर नयन प्रिया किन्नर रम्भा चाँदनी। मधु चन्दन चर्चित वक्ष देश …

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मंत्र-गंध और भाषा-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

मंत्र-गंध और भाषा-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   कौन विश्वास करेगा कि फूल भी मंत्र होता है? मैं अपने चारों ओर एक भाषा का अनुभव करता हूँ। जो ग्रंथों में नहीं होती पर जिसमें फूलों की-सी गंध और बिल्वपत्र की-सी पवित्रता है, इसीलिए मंत्र केवल ग्रंथों में ही नहीं …

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महायोनि-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta 

महायोनि-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta   एक अश्व है जो द्यौ और पृथिवी के बीच सिंह बना क्षितिज पर खड़ा कैसे पुरुष-भाव से ब्रह्मांड का अवलोकन करता हिनहिना रहा है। प्रातःकाल की हवा में उड़ती। उसकी लाल-वासंती अयाल से पूर्व दिशा रक्ताभ हो उठी है। उसके पैरों से बँधी …

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