द्वादश सर्ग -साकेत-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Saket Part 13
द्वादश सर्ग -साकेत-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Saket Part 13 द्वादश सर्ग ढाल लेखनी, सफल अन्त में मसि भी तेरी, तनिक और हो जाय असित यह निशा अँधेरी। ठहर तमी, कृष्णाभिसारिके, कण्टक, कढ़ जा, बढ़ संजीवनि, आज मृत्यु के गढ़ पर चढ़ जा! झलको, झलमल भाल-रत्न, हम सबके झलको, हे नक्षत्र, …