कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2

कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2 बूढ़ा चाँद बूढ़ा चांद कला की गोरी बाहों में क्षण भर सोया है । यह अमृत कला है शोभा असि, वह बूढ़ा प्रहरी प्रेम की ढाल । हाथी दांत की स्‍वप्‍नों की मीनार सुलभ नहीं,- न सही । ओ बाहरी …

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