शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi  प्यार पनघटों को दे दूँगा-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi तब कोई जय ‘शंकर’…….-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi ग्रीष्म-कालीन शुक्ल पक्ष और कैलास-प्यार …

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 प्यार पनघटों को दे दूँगा-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

प्यार पनघटों को दे दूँगा-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   एक ग़रीब गगरिया का जब दर्द आँसुओं में छलका तो, राखी बाँध हाथ में मेरे, सिसकी भर-भर कर यों रोई। ‘भैया भरी हुई गागर ही उठने को तैयार नहीं है- प्यासी हूँ, पर पनघट …

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तब कोई जय ‘शंकर’…….-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

तब कोई जय ‘शंकर’…….-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   सिर्फ़ योजना बनीं, महज़ महलों में ख़ुशियाँ लाईं। कहीं फूँस की कुटी अभी तक महल नहीं बन पाईं।। ये ज़िन्दा लाशों के मलबे, हैं उनकी तस्वीरें। जिनके बलिदानों से चमकीं महलों की तकदीरें।। रंग चाह …

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ग्रीष्म-कालीन शुक्ल पक्ष और कैलास-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

ग्रीष्म-कालीन शुक्ल पक्ष और कैलास-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   (कैलास : आगरा का एक प्राकृतिक स्थल जो सिकंदरा से एक मील पश्चिम में यमुना-किनारे स्थित है।) कोलाहल से दूर प्रकृति की सौम्य गोद में, मुक्त हृदय से हँसता जैसे- महका महुवा। वंशीधरे कृष्ण …

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निर्मला की पाती-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

निर्मला की पाती-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi ======================== मैं भी एक कली थी; लेकिन, खिलने से पहले मुरझाई। ऐसी हीर कनी थी जिसका जौहरियों ने मोल न जाना।। कुछ दिन दे दुलार की छाया, मनमौजी ख़ुशियाँ शरमाईं। ऐसे दिन आए जिनका था, करतब रोना …

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गाँधी-आश्रम-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

गाँधी-आश्रम-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   (एक सत्य घटना पर आधारित जिसका अब कोई पात्र जीवित नहीं) अल्हड़ यौवन की अलमस्ती, उन्मुक्त उरोजों से बाहर। आ कर आरक्त कपोलों पर; फैलाती लज्जा की चादर।। जर्जर, काली साड़ी में से- यों दमक रहा था गोरा …

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ताजमहल-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

ताजमहल-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   ======================= ताज तुझे जब-जब देखा अन्तर्नयनों से, कलाकार का मन सहसा भर-भर आया है। दुर्गति पर उन सभी कलाकारों की जिनके- हाथ कटे, पलकों में सावन घिर आया है।। ======================= श्वेत-दूधिया दीप्ति तुम्हारी प्राचीरों की, लगता है वे …

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