भारत-श्री-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

भारत-श्री-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   जय जय जगमगित जोति, भारत भुवि श्री उदोति कोटि चंद मंद होत, जग-उजासिनी निरखत उपजत विनोद, उमगत आनँद-पयोद सज्जन-गन-मन-कमोद-वन-विकासिनी विद्याऽमृत मयूख, पीवत छकि जात भूख उलहत उर ज्ञान-रूख, सुख-प्रकासिनी करि करि भारत विहार, अद्भुत रंग रूपि धारि संपदा-अधार, अब युरूप-वासिनी स्फूर्जित नख-कांति-रेख, चरन-अरुनिमा विसेख …

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हिंद-महिमा-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

हिंद-महिमा-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   जय, जयति–जयति प्राचीन हिंद जय नगर, ग्राम अभिराम हिंद जय, जयति-जयति सुख-धाम हिंद जय, सरसिज-मधुकर निकट हिंद जय जयति हिमालय-शिखर-हिंद जय जयति विंध्य-कन्दरा हिंद जय मलयज-मेरु-मंदरा हिंद जय शैल-सुता सुरसरी हिंद जय यमुना-गोदावरी हिंद जय जयति सदा स्वाधीन हिंद जय, जयति–जयति प्राचीन हिंद  

बलि-बलि जाऊँ-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak 

बलि-बलि जाऊँ-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   1. भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया मैं बलि-बलि जाऊँ भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ 2. भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतिया काली-काली …

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निज स्वदेश ही-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

निज स्वदेश ही-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   निज स्वदेश ही एक सर्व-पर ब्रह्म-लोक है निज स्वदेश ही एक सर्व-पर अमर-ओक है निज स्वदेश विज्ञान-ज्ञान-आनंद-धाम है निज स्वदेश ही भुवि त्रिलोक-शोभाभिराम है सो निज स्वदेश का, सर्व विधि, प्रियवर, आराधन करो अविरत-सेवा-सन्नद्ध हो सब विधि सुख-साधन करो  

स्वदेश-विज्ञान-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

स्वदेश-विज्ञान-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   जब तक तुम प्रत्येक व्यक्ति निज सत्त्व-तत्त्व नहिं जानोगे त्यों नहिं अति पावन स्वदेश-रति का महत्त्व पहचानोगे जब तक इस प्यारे स्वदेश को अपना निज नहिं मानोगे त्यों अपना निज जान सतत-शुश्रूषा-व्रत नहिं ठानोगे प्रेम-सहित प्रत्येक वस्तु को जब तक नहिं अपनाओगे समता-युत सर्वत्र …

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स्वराज-स्वागत-1-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

स्वराज-स्वागत-1-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   (भारत की ओर से) आऔ आऔ तात, अहो मम प्रान-पियारे सुमति मात के लाल, प्रकृति के राज-दुलारे इते दिननतें हती,तुम्हारी इतै अवाई आवत आवत अहो इति कित देर लगाई आऔ हे प्रिय, आज तुम्हें हिय हेरी लगाऊँ प्रेम-दृगन सों पोंछि पलक पाँवड़े बिछाऊँ हिय-सिंहासन …

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देश-गीत-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

देश-गीत-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   1. जय जय प्यारा, जग से न्यारा शोभित सारा, देश हमारा, जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा जग-सौभाग्य, सुदेश। जय जय प्यारा भारत देश। 2. प्यारा देश, जय देशेश, अजय अशेष, सदय विशेष, जहाँ न संभव अघ का लेश, संभव केवल पुण्य-प्रवेश। जय जय प्यारा भारत-देश। 3. …

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सुंदर भारत-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

सुंदर भारत-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   1 भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है शुचि भाल पै हिमाचल, चरणों पै सिंधु-अंचल उर पर विशाल-सरिता-सित-हीर-हार-चंचल मणि-बद्धनील-नभ का विस्तीर्ण-पट अचंचल सारा सुदृश्य-वैभव मन को लुभा रहा है भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है 2 उपवन-सघन-वनाली, सुखमा-सदन, सुख़ाली प्रावृट के सांद्र …

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भारत-गगन-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

भारत-गगन-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   1 निरखहु रैनि भारत-गगन दूरि दिवि द्युति पूरि राजत, भूरि भ्राजत-भगन 2 नखत-अवलि-प्रकाश पुरवत, दिव्य-सुरपुर-मगन सुमन खिलि मंदार महकत अमर-भौनन-अँगन निरखहु रैनि भारत-गगन 3 मिलन प्रिय अभिसारि सुर-तिय चलत चंचल पगन छिटकि छूटत तार किंकिनि, टूटि नूपुर-नगन निरखहु रैनि भारत-गगन 4 नेह-रत गंधर्व निरतत, …

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स्मरणीय भाव-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

स्मरणीय भाव-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak   वंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज-अभिमानी हों बांधवता में बँधे परस्पर, परता के अज्ञानी हों निंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज अज्ञानी हों सब प्रकार पर-तंत्र, पराई प्रभुता के अभिमानी हों