भारत-श्री-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak
भारत-श्री-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak जय जय जगमगित जोति, भारत भुवि श्री उदोति कोटि चंद मंद होत, जग-उजासिनी निरखत उपजत विनोद, उमगत आनँद-पयोद सज्जन-गन-मन-कमोद-वन-विकासिनी विद्याऽमृत मयूख, पीवत छकि जात भूख उलहत उर ज्ञान-रूख, सुख-प्रकासिनी करि करि भारत विहार, अद्भुत रंग रूपि धारि संपदा-अधार, अब युरूप-वासिनी स्फूर्जित नख-कांति-रेख, चरन-अरुनिमा विसेख …