दोहे-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
दोहे-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri नया घाव है प्रेम का जो चमके दिन-रात होनहार बिरवान के चिकने-चिकने पात यही जगत की रीत है, यही जगत की नीत मन के हारे हार है, मन के जीते जीत जो न मिटे ऐसा नहीं कोई भी संजोग होता आया है सदा मिलन …