सूरज का गोला-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

सूरज का गोला-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   सूरज का गोला, इसके पहले ही कि निकलता, चुपके से बोला,हमसे – तुमसे इससे – उससे कितनी चीजों से, चिडियों से पत्तों से , फूलो – फल से, बीजों से- “मेरे साथ – साथ सब निकलो घने अंधेरे से कब जागोगे,अगर …

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बच्चों की तरह-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

बच्चों की तरह-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   बच्चे की तरह हँसे और जब रोये तो बच्चे की तरह ख़ालिस सुख ख़ालिस दुख न उसमें ख़याल कुछ पाने का न मलाल इसमें कुछ खोने का सुनहली हँसी और आंसू रुपहले दोनों ऐसे कि मन बहला उससे भी इससे भी …

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श्रम की महिमा-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

श्रम की महिमा-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   तुम काग़ज़ पर लिखते हो वह सड़क झाड़ता है तुम व्यापारी वह धरती में बीज गाड़ता है । एक आदमी घड़ी बनाता एक बनाता चप्पल इसीलिए यह बड़ा और वह छोटा इसमें क्या बल । सूत कातते थे गाँधी जी कपड़ा …

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पंडित सरबेसर-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

पंडित सरबेसर-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   नाक में बेसर सिर पर टोपी सारे मूंह पर केसर थोपी सरबेसर तब चले बज़ार लड़के पीछे लगे हज़ार| पंडित जी ने मौका देखा कहा, दिखाओ हाथ की रेखा पास-फेल सब बतला दूंगा पांच पांच पैसे भर लूँगा| हाथ हज़ार सामने फैले …

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हम सब गाएँ-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

हम सब गाएँ-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   रात को या दिन को अकेले में या मेले में हम सब गुनगुनाते रहें क्योंकि गुनगुनाते रहे हैं भौंरे गुनगुना रही हैं मधुमक्खियाँ नीम के फूलों को चूसने की धुन में और नीम के फूल भी महक रहे हैं छोटे बड़े …

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फागुन की खुशियाँ मनाएँ-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

फागुन की खुशियाँ मनाएँ-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   चलो, फागुन की खुशियाँ मनाएँ! आज पीले हैं सरसों के खेत, लो; आज किरनें हैं कंचन समेत, लो; आज कोयल बहन हो गई बावली उसकी कुहू में अपनी लड़ी गीत की- हम मिलाएँ। चलो, फागुन की खुशियाँ मनाएँ! आज अपनी …

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भाई-चारा-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

भाई-चारा-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   अक्कड़-मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाट से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे। बात-बात में बात ठन गई, बाँह उठी और मूँछ तन गई, इसने उसकी गर्दन भींची, उसने इसकी दाढ़ी खींची। अब वह जीता, अब …

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साल दर साल-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

साल दर साल-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   साल शुरू हो दूध दही से, साल खत्म हो शक्कर घी से, पिपरमेंट, बिस्किट मिसरी से रहें लबालब दोनों खीसे। मस्त रहें सड़कों पर खेलें, नाचें-कूदें गाएँ-ठेलें, ऊधम करें मचाएँ हल्ला रहें सुखी भीतर से जी से। साँझ रात दोपहर सवेरा, …

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तुकों के खेल-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

तुकों के खेल-बाल कविता-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   मेल बेमेल तुकों के खेल जैसे भाषा के ऊंट की नाक में नकेल ! इससे कुछ तो बनता है भाषा के ऊंट का सिर जितना तानो उतना तनता है!  

होने का दावा-त्रिकाल संध्या-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

होने का दावा-त्रिकाल संध्या-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   अपने ही सही होने का दावा दावानल है फल है चारों तरफ धू-धू चारों तरफ मैं-मैं चारों तरफ तू-तू