कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi मुक्ति (नजाथ)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi धन्य हो प्रभु! (हमुद)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi अंधकार में ही खुलता है रहस्य (पय छु जुल्मात् वुज़ान)- कविता -अब्दुर रहमान …

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मुक्ति (नजाथ)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

मुक्ति (नजाथ)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   गुंबद वाली एक गुलाम गरदिश वह जिसमें जम रही ठिठुरती छायाएँ और पिघलते शैल, सागर को मरूस्थल की लय में बाँधकर सन्नाटे की रात में चिनार की टहनियों पर उद्विग्न सोच का विस्फोट-फाटक३३ गुबंद वाली गुलाम गरदिश कदमः जलते बुझते …

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धन्य हो प्रभु! (हमुद)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

धन्य हो प्रभु! (हमुद)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   उसने चारों ओर नज़र दौड़ाई भभक रहा था ओर छोर हीन मरूस्थल हज़ारों लाखों सालों से/लक्ष्यहीन सरोकारहीन जब से धधक रही आँधी में अपनी दिशाहिनता समेट रहा है गिरगिट को अपने होने का हर संभव मर्म आज़माना पड़ा …

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अंधकार में ही खुलता है रहस्य (पय छु जुल्मात् वुज़ान)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

अंधकार में ही खुलता है रहस्य (पय छु जुल्मात् वुज़ान)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   कल रात नींद मेरी टूटी, विचारों का धागा भी टूट गया सोच की वन छाया में मँडरा रहे बाज़ को मैंने पहचाना सुलग रहा था चोंच में उसकी आज भी वही ख़ू …

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छबील, नदी के तल में (कआरे दरिया सलसबील)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

छबील, नदी के तल में (कआरे दरिया सलसबील)- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   असली छबील नदी के तल में होती है ऊपर की तह पर तो होती आग बसी -ग़ालिब तेरी ज्वाला भड़कती रहे, बढ़ती रहे प्यास है साँस तेरी गुलाब आँखें तेरी मदिरा मदिरा याद तुम्हें …

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दो कविताएँ- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

दो कविताएँ- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   (1) पूरे जंगल को आग ने भस्म कर डाला पूरे जंगल को आग ने भस्म कर डाला भेड़ों की चर्बी जली, चरागाह राख हुआ निपट मूर्ख गड़रिये की न साँस रुकती है न उसने अपने नाखून कुतरे। (2) संसार की …

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उसी कमरे में- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

उसी कमरे में- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   उसी कमरे में जहाँ मुझे इतने दिन गये बिस्तर में ठंड झेलते देखी मैंने दिन ढलते समय नन्ही मुन्नी चुपचाप सूर्य की एक किरण द्वार की ओट में सीमेंटी फ़र्श पर कटे-फटे जूते के फुसफुसे फुन्दे उजालते हुए सेंडली …

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बात में बात- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

बात में बात- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   वातावरण अँधेरे कुँए में चुप्पी ओढ़े एक श्वेत पत्थर हवा खंभे पर रेशमी रस्सी की उलझी गाँठ ध्वनि घोड़ी से आती शेरनी की बू वासना साँप सेब की सुर्थी चाट रहा क़दम धुनकी तले की रूई थोड़ी-सी खोलती आकाशीय …

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शेर और समुद्र- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

शेर और समुद्र- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   दूध चूल्हे पर आग तेज़ होती जाती चोर को देंगे फाँसी या बच निकलेगा समय यह बेमौसम कहाँ जाओगे? यहीं बैठ जाओ मेरे निकट! आधी रात जब खिड़की बन्द थी द्वार भी बन्द काले कागों ने पर्वत शिखरों के …

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मसख़रा- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi

मसख़रा- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi   इस दुनिया में जहाँ हर कोई लल्ला, हुब्बाख़ातून यज़ीद, यहूदा बहती रेत पर नाचने में मग्न पीड़ित होते हुए भी मसख़रा लगे जहाँ हर चीज़ की एक आँख मुस्कराती हुई आँसू बहाती हुई जहाँ अफ़लातून अनाड़ियों का दरवेश लगे जहाँ ज़रतुश्त …

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