कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh मैंने भी अब सीख लिया हैकविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh मेरी बूढ़ी माँकविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh शब्दहीनता को तोड़ने के लिएकविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi …

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अन्तर्दाह-अन्तर्दाह (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

अन्तर्दाह-अन्तर्दाह (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh क्यों आज विकल मन मेरा? क्यों हृदय भरा लगता है ? क्यों जन्म – जन्म का सोया संचित वियोग जगता है ? ।।१।। क्यों प्रकृति मूक बन बैठी? क्यों पवन नहीं चलता है ? क्यों मेरे भोले मन में पावक …

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षष्ठ सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

षष्ठ सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh आया जयन्त प्रभु पास हाथ मलता-सा । अपने कुकर्म की ज्वाला में जलता-सा ।। रह गया मात्र शर से अंगुल भर अन्तर । कर आर्तनाद वह गिरा राम के पग पर ।। “त्राहि-त्राहि हे नाथ ! शची-सुत …

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पंचम सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

पंचम सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh सुना लक्ष्मण ने जब रव घोर, हुए तत्क्ष्ण चिन्तन में लीन । उठा क्योंकर यह भैरव नाद ? हुआ क्यों जग शोभा-श्रीहीन ।। सूर्य की ज्योति हुई क्यों मन्द ? बंद – से हुए सृष्टि व्यापार ? …

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चतुर्थ सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

चतुर्थ सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh बाण प्रहार कर चिन्तित हुए श्री राम यह क्या है ? क्यों हुआ ऐसा ? कैसी व्यवस्था यह ? कैसा प्रशासन यह ? कैसा यह तन्त्र है ? नित्य ही होता बलात्कार वधुओं पर, होता है अपमान …

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तृतीय सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

तृतीय सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh चल पड़ा भयंकर राम बाण, भीषण दावाग्नि उगलता-सा । अपने प्रचण्ड घन-गर्जन से, सारा संसार निगलता सा ।। शतकोटि शम्भु के अट्टहास की तरह बाण हुंकार चला । मानो रोषाकुल शेषनाग ही आज प्रखर फुंकार चला ।। …

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द्वितीय सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

द्वितीय सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh प्रात समय है सूर्यरश्मियाँ सतरंगी अतिसुन्दर थिरक रही है पर्णकुटी पर अतिप्रसन्न हो आकर, चमक रहा स्फटिक शैल-सा स्वच्छ नदी का तीर। कलकल, छलछल कर लहराता प्रतिपल निर्मल नीर।। महा विटप वत के नीचे है बनी वेदिका …

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प्रथम सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh

प्रथम सर्ग-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-नेत्रभंग (खण्ड काव्य)-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh विविध लता – तरुओं से गुम्फित, चित्रकूट पर्वत सुंदर । मेरुदण्ड की तरह धरा पर पड़ा हुआ छवि-निधि मंदर।। मन्दाकिनी नदी मनहरनी जिसके तल में बहती है । ‘जीवन है गतिशील’ निरन्तर कलकल ध्वनी में कहती है …

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हिन्दी-कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh 

हिन्दी-कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh   हिन्दी आत्मा देश की, संस्कृति की पहचान । राष्ट्र धर्म की चेतना, विश्वप्रेम विज्ञान ।। हिन्दी गौरव-बोध है, अपनापन अरु नेह । भारत माँ की आत्मा, भारत माँ की देह ।। संस्कृत की बेटी भली, संस्कृति का अनुराग । स्वाभिमान, सच्चेतना, …

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मूर्ति-भंजकों से-कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh 

मूर्ति-भंजकों से-कविता-रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshwar Nath Mishra Anurodh   सम्हल जाओ मूर्ति-भंजक! तोड़ जिसको थीं न पायी जेल की वे यातनाएँ, जिन्दगी की रौनकें-रंगीनियाँ, अगणित प्रलोभन तुम उसे क्या तोड़ पाओगे हाँ, केवल जोड़ जाओगे उसे फिर लोक-मन से । सम्हल जाओ, मोम की यह मूर्ति तो लगती नहीं …

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