गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali

गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali कहाँ आलोक, कहाँ आलोक ?-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (कोथाय आलो, कोथाय ओरे आलो ?) लगी हवा यों मन्द-मधुर-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (लेगेछे अमल धवल पाले मन्द मधुर हावा) आओ नव-नव रूपों में तुम …

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कहाँ आलोक, कहाँ आलोक ?-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (कोथाय आलो, कोथाय ओरे आलो ?)

कहाँ आलोक, कहाँ आलोक ?-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (कोथाय आलो, कोथाय ओरे आलो ?) कहाँ आलोक, कहाँ आलोक ? विरहानल से इसे जला लो। दीपक है, पर दीप्ति नहीं है; क्या कपाल में लिखा यही है ? उससे तो मरना अच्छा है; विरहानल से इसे जला लो।। व्यथा-दूतिका गाती-प्राण …

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लगी हवा यों मन्द-मधुर-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (लेगेछे अमल धवल पाले मन्द मधुर हावा)

लगी हवा यों मन्द-मधुर-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (लेगेछे अमल धवल पाले मन्द मधुर हावा) लगी हवा यों मन्द-मधुर इस नाव-पाल पर अमल-धवल है; नहीं कभी देखा है मैंने किसी नाव का चलना ऐसा। लाती है किस जलधि-पार से धन सुदूर का ऐसा, जिससे- बह जाने को मन होता है; …

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आओ नव-नव रूपों में तुम प्राणों में-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (तुमि ! नव-नव रूपे एसो प्राणे…)

आओ नव-नव रूपों में तुम प्राणों में-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (तुमि ! नव-नव रूपे एसो प्राणे…) आओ नव-नव रूपों में तुम प्राणों में; आओ गन्धों में, वर्णों में, गानों में। आओ अंगों में तुम, पुलिकत स्पर्शों में; आओ हर्षित सुधा-सिक्त सुमनों में। आओ मुग्ध मुदित इन दोनों नयनों में; …

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प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (प्रेमे प्राणे गाने गन्धे आलोके पुलके…)

प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (प्रेमे प्राणे गाने गन्धे आलोके पुलके…) प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में, आप्लावित कर अखिल गगन को, निखिल भुवन को, अमल अमृत झर रहा तुम्हारा अविरल है। दिशा-दिशा में आज टूटकर बन्धन सारा- मूर्तिमान हो रहा …

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मेरी रक्षा करो विपत्ति में, यह मेरी प्रार्थना नहीं है-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (विपोदे मोरे रक्षा क’रो, ए न’हे मोर प्रार्थना)

मेरी रक्षा करो विपत्ति में, यह मेरी प्रार्थना नहीं है-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (विपोदे मोरे रक्षा क’रो, ए न’हे मोर प्रार्थना) मेरी रक्षा करो विपत्ति में, यह मेरी प्रार्थना नहीं है; मुझे नहीं हो भय विपत्ति में, मेरी चाह यही है। दुःख-ताप में व्यथित चित्त को यदि आश्वासन दे …

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अनजानों से भी करवाया है परिचय मेरा तुमने-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (कत’ अजानारे जानाइले तुमि…)

अनजानों से भी करवाया है परिचय मेरा तुमने-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (कत’ अजानारे जानाइले तुमि…) अनजानों से भी करवाया है परिचय मेरा तुमने; जानें, कितने आवासों में ठाँव मुझे दिलवाया है। दूरस्थों को भी करवाया है स्वजन समीपस्थ तुमने, भाई बनवाए हैं मेरे अन्यों को, जानें, कितने। छोड़ पुरातन …

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विविध वासनाएँ हैं मेरी प्रिय प्राणों से भी-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali

विविध वासनाएँ हैं मेरी प्रिय प्राणों से भी-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (आमि बहु वासनाय प्राणपणे चाइ…) विविध वासनाएँ हैं मेरी प्रिय प्राणों से भी वंचित कर उनसे तुमने की है रक्षा मेरी; संचित कृपा कठोर तुम्हारी है मम जीवन में। अनचाहे ही दान दिए हैं तुमने जो मुझको, आसमान, …

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मेरा माथा नत कर दो तुम-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (आमार माथा नत क’रे दाव तोमार चरण धूलार त’ ले)

मेरा माथा नत कर दो तुम-गीतांजलि-रवीन्द्रनाथ ठाकुर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rabindranath Tagore Gitanjali (आमार माथा नत क’रे दाव तोमार चरण धूलार त’ ले) मेरा माथा नत कर दो तुम अपनी चरण-धूलि-तल में; मेरा सारा अहंकार दो डुबो-चक्षुओं के जल में। गौरव-मंडित होने में नित मैंने निज अपमान किया है; घिरा रहा अपने में …

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