ग़ज़लें -रमेशराज -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshraj Ghazals Part 2
ग़ज़लें -रमेशराज -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rameshraj Ghazals Part 2 घनी उदासी अपने पास घनी उदासी अपने पास बुझी नहीं अधरों की प्यास। भले न ये दर्दालंकार मत दे घावों के अनुप्रास। अपनों से ये कैसी लाज? तेरे मेरे रिश्ते खास। इधर चुभन टीसों का दौर क्या मन रहता उधर उदास? मन मेरा तुझसे …