ग़म न कर, ग़म न कर-सरे-वादी-ए-सीना -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
ग़म न कर, ग़म न कर-सरे-वादी-ए-सीना -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz दर्द थम जाएगा, ग़म न कर, ग़म न कर यार लौट आएंगे, दिल ठहर जाएगा, ग़म न कर, ग़म न कर ज़ख़्म भर जाएगा ग़म न कर, ग़म न कर दिन निकल आएगा ग़म न कर, ग़म न कर …