अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी सुणि गुर बचन मनि तीर लगईआ ॥ मन की बिरथा मन ही जाणै अवरु कि जाणै को पीर परईआ ॥१॥ राम गुरि मोहनि मोहि मनु लईआ ॥ हउ आकल बिकल भई …

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 आपे धरती साजीअनु-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

आपे धरती साजीअनु-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji आपे धरती साजीअनु आपे आकासु ॥ विचि आपे जंत उपाइअनु मुखि आपे देइ गिरासु ॥ सभु आपे आपि वरतदा आपे ही गुणतासु ॥ जन नानक नामु धिआइ तू सभि किलविख कटे तासु ॥2॥302॥

जिसु अंदरि ताति पराई होवै-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जिसु अंदरि ताति पराई होवै-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji जिसु अंदरि ताति पराई होवै तिस दा कदे न होवी भला ॥ ओस दै आखिऐ कोई न लगै नित ओजाड़ी पूकारे खला ॥ जिसु अंदरि चुगली चुगलो वजै कीता करतिआ ओस दा सभु गइआ ॥ …

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सतिगुरु पुरखु अगमु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

सतिगुरु पुरखु अगमु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji सतिगुरु पुरखु अगमु है जिसु अंदरि हरि उरि धारिआ ॥ सतिगुरू नो अपड़ि कोइ न सकई जिसु वलि सिरजणहारिआ ॥ सतिगुरू का खड़गु संजोउ हरि भगति है जितु कालु कंटकु मारि विडारिआ ॥ सतिगुरू का रखणहारा …

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हरि दरसन कउ मेरा मनु बहु तपतै-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

हरि दरसन कउ मेरा मनु बहु तपतै-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji हरि दरसन कउ मेरा मनु बहु तपतै जिउ त्रिखावंतु बिनु नीर ॥१॥ मेरै मनि प्रेमु लगो हरि तीर ॥ हमरी बेदन हरि प्रभु जानै मेरे मन अंतर की पीर ॥१॥ रहाउ ॥ मेरे हरि …

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सतिगुरु धरती धरम है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

सतिगुरु धरती धरम है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji सतिगुरु धरती धरम है तिसु विचि जेहा को बीजे तेहा फलु पाए ॥ गुरसिखी अम्रितु बीजिआ तिन अम्रित फलु हरि पाए ॥ ओना हलति पलति मुख उजले ओइ हरि दरगह सची पैनाए ॥ इकन्हा अंदरि खोटु …

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होदै परतखि गुरू जो विछुड़े-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

होदै परतखि गुरू जो विछुड़े-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji होदै परतखि गुरू जो विछुड़े तिन कउ दरि ढोई नाही ॥ कोई जाइ मिलै तिन निंदका मुह फिके थुक थुक मुहि पाही ॥ जो सतिगुरि फिटके से सभ जगति फिटके नित भ्मभल भूसे खाही ॥ …

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मनमुखु प्राणी मुगधु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

मनमुखु प्राणी मुगधु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji मनमुखु प्राणी मुगधु है नामहीण भरमाइ ॥ बिनु गुर मनूआ ना टिकै फिरि फिरि जूनी पाइ ॥ हरि प्रभु आपि दइआल होहि तां सतिगुरु मिलिआ आइ ॥ जन नानक नामु सलाहि तू जनम मरण दुखु जाइ …

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दिनसु चड़ै फिरि आथवै-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

दिनसु चड़ै फिरि आथवै-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji दिनसु चड़ै फिरि आथवै रैणि सबाई जाइ ॥ आव घटै नरु ना बुझै निति मूसा लाजु टुकाइ ॥ गुड़ु मिठा माइआ पसरिआ मनमुखु लगि माखी पचै पचाइ ॥१॥ भाई रे मै मीतु सखा प्रभु सोइ ॥ पुतु …

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