श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-5
श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-5 जह अनभउ तह भै नही जह भउ तह हरि नाहि ॥ कहिओ कबीर बिचारि कै संत सुनहु मन माहि ॥१८०॥ कबीर जिनहु किछू जानिआ नही तिन सुख नीद बिहाइ ॥ हमहु जु बूझा बूझना पूरी परी बलाइ ॥१८१॥ कबीर मारे बहुतु पुकारिआ पीर …