श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-5

श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-5 जह अनभउ तह भै नही जह भउ तह हरि नाहि ॥ कहिओ कबीर बिचारि कै संत सुनहु मन माहि ॥१८०॥ कबीर जिनहु किछू जानिआ नही तिन सुख नीद बिहाइ ॥ हमहु जु बूझा बूझना पूरी परी बलाइ ॥१८१॥ कबीर मारे बहुतु पुकारिआ पीर …

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श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-4

श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-4 कबीर चुगै चितारै भी चुगै चुगि चुगि चितारे ॥ जैसे बचरहि कूंज मन माइआ ममता रे ॥१२३॥ कबीर अम्बर घनहरु छाइआ बरखि भरे सर ताल ॥ चात्रिक जिउ तरसत रहै तिन को कउनु हवालु ॥१२४॥ कबीर चकई जउ निसि बीछुरै आइ मिलै परभाति …

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श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-3

श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-3 कबीर सात समुंदहि मसु करउ कलम करउ बनराइ ॥ बसुधा कागदु जउ करउ हरि जसु लिखनु न जाइ ॥८१॥ कबीर जाति जुलाहा किआ करै हिरदै बसे गुपाल ॥ कबीर रमईआ कंठि मिलु चूकहि सरब जंजाल ॥८२॥ कबीर ऐसा को नही मंदरु देइ जराइ …

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श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-2

श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-2 कबीर लूटना है त लूटि लै राम नाम है लूटि ॥ फिरि पाछै पछुताहुगे प्रान जाहिंगे छूटि ॥४१॥ कबीर ऐसा कोई न जनमिओ अपनै घरि लावै आगि ॥ पांचउ लरिका जारि कै रहै राम लिव लागि ॥४२॥ को है लरिका बेचई लरिकी बेचै …

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श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-1

श्लोक-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji-1 कबीर मेरी सिमरनी रसना ऊपरि रामु ॥ आदि जुगादी सगल भगत ता को सुखु बिस्रामु ॥१॥ कबीर मेरी जाति कउ सभु को हसनेहारु ॥ बलिहारी इस जाति कउ जिह जपिओ सिरजनहारु ॥२॥ कबीर डगमग किआ करहि कहा डुलावहि जीउ ॥ सरब सूख को …

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