श्री मद्धर्मधुरंधर पंडा- शरणार्थी अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,

श्री मद्धर्मधुरंधर पंडा- शरणार्थी अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, #1. धरती थर्रायी, पूरब में सहसा उठा बवंडर महाकाल का थप्पड़-सा जा पड़ा चाँदपुर-नोआखाली-फेनी-चट्टग्राम-त्रिपुरा में स्तब्ध रह गया लोक सुना हिंसा का दैत्य, नशे में धुत्त, रौंद कर चला गया है जाति द्वेष की दीमक-खायी …

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