श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 4
श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 4 नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै । कबहिं घुटुरुवनि चलहिंगे, कहि बिधिहिं मनावै ॥ कबहिं दँतुलि द्वै दूध की, देखौं इन नैननि । कबहिं कमल-मुख बोलिहैं, सुनिहौं उन बैननि ॥ चूमति कर-पग-अधर-भ्रू, लटकति …