श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 4

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 4   नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै । कबहिं घुटुरुवनि चलहिंगे, कहि बिधिहिं मनावै ॥ कबहिं दँतुलि द्वै दूध की, देखौं इन नैननि । कबहिं कमल-मुख बोलिहैं, सुनिहौं उन बैननि ॥ चूमति कर-पग-अधर-भ्रू, लटकति …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 21

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 21 हलधर सौं कहि ग्वालि सुनायौ हलधर सौं कहि ग्वालि सुनायौ । प्रातहि तैं तुम्हरौ लघु भैया, जसुमति ऊखल बाँधि लगायौ ॥ काहू के लरिकहि हरि मार्‌यौ, भोरहि आनि तिनहिं गुहरायौ । तबही तैं बाँधे हरि बैठे, सो तुमकौं आनि जनायौ …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3 कन्हैया हालरौ हलरोइ कन्हैया हालरौ हलरोइ । हौं वारी तव इंदु-बदन पर, अति छबि अलग भरोइ ॥ कमल-नयन कौं कपट किए माई, इहिं ब्रज आवै जोइ । पालागौं बिधि ताहि बकी ज्यौं, तू तिहिं तुरत बिगोइ ॥ सुनि देवता बड़े, …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 20

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 20   चितै धौं कमल-नैन की ओर चितै धौं कमल-नैन की ओर । कोटि चंद वारौं मुखछबि पर, ए हैं साहु कै चोर ॥ उज्ज्वल अरुन असित दीसति हैं, दुहु नैननि की कोर । मानौ सुधा-पान कें कारन , बैठे निकट …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 6

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 6   बाल बिनोद खरो जिय भावत बाल बिनोद खरो जिय भावत । मुख प्रतिबिंब पकरिबे कारन हुलसि घुटुरुवनि धावत ॥ अखिल ब्रह्मंड-खंड की महिमा, सिसुता माहिं दुरावत । सब्द जोरि बोल्यौ चाहत हैं, प्रगट बचन नहिं आवत ॥ कमल-नैन माखन …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 19

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 19 बाँधौं आजु, कौन तोहि छोरै बाँधौं आजु, कौन तोहि छोरै । बहुत लँगरई कीन्हीं मोसौं, भुज गहि ऊखल सौं जोरै ॥ जननी अति रिस जानि बँधायौ, निरखि बदन, लोचन जल ढोरै । यह सुनि ब्रज-जुवती सब धाई, कहतिं कान्ह अब …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 7

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 7 माखन खात हँसत किलकत हरि माखन खात हँसत किलकत हरि, पकरि स्वच्छ घट देख्यौ । निज प्रतिबिंब निरखि रिस मानत, जानत आन परेख्यौ ॥ मन मैं माख करत, कछु बोलत, नंद बबा पै आयौ । वा घट मैं काहू कै …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 23

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 23  जननि जगावति , उठौ कन्हाई जननि जगावति , उठौ कन्हाई ! प्रगट्यौ तरनि, किरनि महि छाई ॥ आवहु चंद्र-बदन दिखराई । बार-बार जननी बलि जाई ॥ सखा द्वार सब तुमहिं बुलावत । तुम कारन हम धाए आवत ॥ सूर स्याम …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 8

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 8 जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल । बेगि बढ़ै बल सहित बिरध लट, महरि मनोहर बाल ॥ उपजि परयौ सिसु कर्म-पुन्य-फल, समुद-सीप ज्यौं लाल । सब गोकुल कौ प्रान-जीवन-धन, बैरिन कौ उर-साल ॥ सूर कितौ सुख पावत लोचन, …

Read more

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 24

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 24   पौढ़े स्याम जननि गुन गावत पौढ़े स्याम जननि गुन गावत । आजु गयौ मेरौ गाइ चरावन, कहि-कहि मन हुलसावत ॥ कौन पुन्य-तप तैं मैं पायौ ऐसौ सुंदर बाल । हरषि-हरषि कै देति सुरनि कौं सूर सुमन की माल ॥ …

Read more