श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

  श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  Teri Parchhaai Mere Ghar Se Nahi Jaati Hai ( In Hindi)-तेरी परछाई मेरे घर से नहीं जाती है-Rahat Indori-   – राहत इंदौरी उद्बोधन-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  अष्टादश सर्ग : परिशिष्ट-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | …

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उद्बोधन-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

उद्बोधन-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  सातवीं चिनगारी : उद्बोधन-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  छठी चिनगारी : स्वप्न-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  पाँचवीं चिनगारी : दरबार-जौहर- श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey  चौथी चिनगारी …

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अष्टादश सर्ग : परिशिष्ट-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

अष्टादश सर्ग : परिशिष्ट-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey यह एकलिंग का आसन है, इस पर न किसी का शासन है। नित सिहक रहा कमलासन है, यह सिंहासन सिंहासन है॥1॥ यह सम्मानित अधिराजों से, अर्चित है, राज–समाजों से। इसके पद–रज पोंछे जाते भूपों के सिर के ताजों से॥2॥ इसकी …

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सप्तदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

सप्तदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey फागुन था शीत भगाने को माधव की उधर तयारी थी। वैरी निकालने को निकली राणा की इधर सवारी थी॥1॥ थे उधर लाल वन के पलास, थी लाल अबीर गुलाल लाल। थे इधर क्रोध से संगर के सैनिक के आनन लाल–लाल॥2॥ उस ओर …

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षष्ठदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

षष्ठदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey थी आधी रात अँधेरी तम की घनता थी छाई। कमलों की आँखों से भी कुछ देता था न दिखाई॥1॥ पर्वत पर, घोर विजन में नीरवता का शासन था। गिरि अरावली सोया था सोया तमसावृत वन था॥2॥ धीरे से तरू के पल्लव गिरते …

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पंचदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

पंचदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey पावस बीता पर्वत पर नीलम घासें लहराई। कासों की श्वेत ध्वजाएँ किसने आकर फहराई?॥1॥ नव पारिजात–कलिका का मारूत आलिंगन करता कम्पित–तन मुसकाती है वह सुरभि–प्यार ले बहता॥2॥ कर स्नान नियति–रमणी ने, नव हरित वसन है पहना। किससे मिलने को तन में झिलमिल …

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चतुर्दश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

चतुर्दश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey रजनी भर तड़प–तड़पकर घन ने आँसू बरसाया। लेकर संताप सबेरे धीरे से दिनकर आया॥1॥ था लाल बदन रोने से चिन्तन का भार लिये था। शव–चिता जलाने को वह कर में अंगार लिये था॥2॥ निशि के भीगे मुरदों पर उतरी किरणों की माला। …

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त्रयोदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

त्रयोदश सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey जो कुछ बचे सिपाही शेष, हट जाने का दे आदेश। अपने भी हट गया नरेश, वह मेवाड़–गगन–राकेश॥1॥ बनकर महाकाल का काल, जूझ पड़ा अरि से तत्काल। उसके हाथों में विकराल, मरते दम तक थी करवाल॥2॥ उसपर तन–मन–धन बलिहार झाला धन्य, धन्य परिवार। …

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नवम सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

नवम सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey धीरे से दिनकर द्वार खोल प्राची से निकला लाल–लाल। गह्वर के भीतर छिपी निशा बिछ गया अचल पर किरण–जाल॥1॥ सन–सन–सन–सन–सन चला पवन मुरझा–मुरझाकर गिरे फूल। बढ़ चला तपन, चढ़ चला ताप धू–धू करती चल पड़ी धूल॥2॥ तन झुलस रही थीं लू–लपटें तरू–तरू …

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दशम सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey 

दशम सर्ग-हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Narayan Pandey नाना तरू–वेलि–लता–मय पर्वत पर निर्जन वन था। निशि वसती थी झुरमुट में वह इतना घोर सघन था॥1॥ पत्तों से छन–छनकर थी आती दिनकर की लेखा। वह भूतल पर बनती थी पतली–सी स्वर्णिम रेखा॥2॥ लोनी–लोनी लतिका पर अविराम कुसुम खिलते थे। बहता था …

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