शोपेन का नग़मा बजता है-मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

शोपेन का नग़मा बजता है-मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz छलनी है अंधेरे का सीना, बरखा के भाले बरसे हैं दीवारों के आंसू हैं रवां, घर ख़ामोशी में डूबे हैं पानी में नहाये हैं बूटे, गलियों में हू का फेरा है शोपेन का नग़मा बजता है इक ग़मगीं …

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