शॉल बचाइए -इसलिए बौड़म जी इसलिए-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

शॉल बचाइए -इसलिए बौड़म जी इसलिए-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, देश को छोड़िए शॉल बचाइए! (दूसरों के दाग़ दिखाने के चक्कर में हम कई बार ख़ुद को जला बैठते हैं।) श्रीमान जी आप खाना कैसे खाते हैं! बच्चों की तरह गिराते हैं!! कुर्ते पर गिराया है सरसों का साग, …

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