मक्खियाँ-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

मक्खियाँ-कविता-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi यारो में चुप रहूं भला ताकि?। मक्खियां तो बहुत हुई दर पै॥ चले आते हैं ग़ोल पै दर पै। शोर है गु़ल है भन भनाहट है॥ कोई थूके कोई करे है कै़। इस क़दर धूम मक्खियों की है॥1॥ पहले मज़कूर किया है खाने का। …

Read more