शैदाए वतन-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi
शैदाए वतन-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi हम भी दिल रखते हैं सीने में जिगर रखते हैं, इश्क़-ओ-सौदाय वतन रखते हैं, सर रखते हैं। माना यह ज़ोर ही रखते हैं न ज़र रखते हैं, बलबला जोश-ए-मोहब्बत का मगर रखते हैं। कंगूरा अर्श का आहों से हिला सकते हैं, …