दुनियाँ धोके की टट्टी है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

दुनियाँ धोके की टट्टी है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi यह पैंठ अजब है दुनियां की, और क्या क्या जिन्स इकट्ठी है। यां माल किसी का मीठा है, और चीज़ किसी की खट्टी है। कुछ पकता है कुछ भुनता है, पकवान मिठाई पट्टी है। जब देखा खूब तो …

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है दुनिया जिस का नाम मियाँ-दार-उल-मकाफ़ात-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

है दुनिया जिस का नाम मियाँ-दार-उल-मकाफ़ात-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi है दुनियां जिसका नाम मियां, यह और तरह की बस्ती है। जो महंगों को तो महंगी है, और सस्तों को यह सस्ती है। यां हर दम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत बस्ती है। गर मस्त करे …

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