देखा हर एक शाख पे गुंचो को सरनिगूँ-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
देखा हर एक शाख पे गुंचो को सरनिगूँ-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri देखा हर एक शाख पे गुंचो को सरनिगूँ जब आ गई चमन पे तेरे बांकपन की बात जाँबाज़ियाँ तो जी के भी मुमकिन है दोस्ती क्यों बार-बार करते हो दारो-दसन की बात बस इक ज़रा सी …