दम का तमाशा-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
दम का तमाशा-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जहां में जब तलक यारो! हमारे जिस्म में दम है। कभी हंसना, कभी रोना, कभी शादी, कभी ग़म है॥ कहें किस किस से क्या-क्या एक दम के साथ आलम है। मगर जो साहिबे दम है वह इस नुक्ते से …