अखियां दुख भरी मेरी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

अखियां दुख भरी मेरी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf अखियां दुख भरी मेरी देखनि यार तुसानूं । डिठे बाझूं रहन न मूले लग्गी चोट नैणां नूं ।१।रहाउ। जै तन लगी सो तन जाने गुझड़ी वेदन असानूं ।१। शाहु शरफ़ दिल दरदु घणेरे मालुमु हाल मित्रां नूं ।२। (किदारा)

चाय बख़शीं रब्बा मेरे कीते नूं-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

चाय बख़शीं रब्बा मेरे कीते नूं-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf चाय बख़शीं रब्बा मेरे कीते नूं ।१।रहाउ। अउगुण्यारी नूं को गुन नाही लाज पई तउ मीते नूं ।१। दामनु लग्ग्यां दी सरमु तुसानूं घति डोरी मेरे चीते नूं ।२। तउ बिनु दूजा द्रिसटि न आवै ढाह भरम दे …

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पंडित पुछदी मैं वाटा भुलेंदी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

पंडित पुछदी मैं वाटा भुलेंदी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf पंडित पुछदी मैं वाटा भुलेंदी हारियां मेरी जानि । दिलि विचि वसदा अखीं नाहीं दिसदा बिरहु तुसाडे मारियां मेरी जानि ।१।रहाउ। दरसन तेरे दी दरमांदी करसो मेरी कारियां ।१। शाह शरफ़ पिया अजब सहारा मेहर जिनां दी तारियां ।२। …

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विचि चकी आपि पीसाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

विचि चकी आपि पीसाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf विचि चकी आपि पीसाईऐ, विच रंगन पाय रंगाईऐ, होइ कपड़ काछि कछाईऐ, ता सहु दे अंग समाईऐ ।१। इउं प्रेम प्याला पीवणा, जगि अन्दरि मरि मरि जीवना ।१।रहाउ। विचि आवी आपि पकाईऐ, होइ रूंयी आपि तूम्बाईऐ, विचि घानी आपि पीड़ाईऐ, …

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रहु वे अड़्या तूं रहु वे अड़्या-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

रहु वे अड़्या तूं रहु वे अड़्या-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf रहु वे अड़्या तूं रहु वे अड़्या, बोलनि दी जाय नहीं वे अड़्या, जो बोले सो मारीए मनसूर जिवें कोयी बुझदा नाहीं वे अड़्या ।१।रहाउ। जै तै हक दा राह पछाता, दम ना मार वे तूं रहीं …

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इक पुछदियां पंडति जोइसी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

इक पुछदियां पंडति जोइसी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf इक पुछदियां पंडति जोइसी, कदि पिया मिलावा होइसी, मिलि दरद विछोड़ा खोइसी ।१। तप रहीसु माए मेरा जिय बले, मै पीउ न देख्या दुइ नैन भरे ।१।रहाउ। नित काग उडारां बनि रहां, निस तारे गिणदी न सवां, ज्युं लवे पपीहा …

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हथीं छल्ले बाहीं चूड़ियां-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

हथीं छल्ले बाहीं चूड़ियां-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf हथीं छल्ले बाहीं चूड़ियां, गलि हार हमेलां जूड़ियां, सहु मिले तां पाउंदियां पूरियां ।१। नैन भिन्नड़े कजल सांवरे, सहु मिलन नूं खरे उतावरे ।१।रहाउ। रातीं होईआं नी अंधेरियां, चउकीदारां ने गलियां घेरियां, मैं बाझ दंमां बन्दी तेरियां ।२। मैं बाबल …

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बरखै अगनि दिखावै पानी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

बरखै अगनि दिखावै पानी-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf बरखै अगनि दिखावै पानी, रोंद्यां रैनि वेहाणी, तां मैं सार विछोड़े दी जानी ।१। मैं बिरहु खड़ी रिझानियां, मैं सार विछोड़े दी जाणियां ।१।रहाउ। मेरे अन्दरि जलनि अंगीठियां, योह जलदियां किनै न डिठियां, मैं दरद दिवाने लूठियां, मैं प्रेम बिछोहे …

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अगै जलै तां पानी पाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

अगै जलै तां पानी पाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf अगै जलै तां पानी पाईऐ, पानी जलै तां काय बुझाईऐ, मैं तती नूं जतन बताईऐ ।१। मति अण-मिल्यां मर जाईऐ, इह अउसर बहुड़ न पाईऐ ।१।रहाउ। घिन वखर लदि सिधाईऐ, देखि लाहा ना लुभाईऐ, सन वखर आपि विचाईऐ ।२। …

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तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे । इस चितवनि पर तनु मनु वारउ जो वारउ सो थोरा रे ।१।रहाउ। प्रीति की रीति कठिन भई मितवा खिनै बनावत रोरा रे । जब लागिओ तब जानिओ नाहीं अबह परिओ …

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