शासन की बंदूक-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
शासन की बंदूक-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक सत्य …