शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 2
शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 2 शाश्वत मरना है जब एक दिन, फिर भय है किस हेतु। जन्म मरण के बीच में, सांसों का यह सेतु।। सांसों का यह सेतु, टूट जिस दिन भी जाता। निराकर यह जीव, दूसरा ही पथ पाता। ‘ठकुरेला’ कविराय, …