शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 2

शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 2 शाश्वत मरना है जब एक दिन, फिर भय है किस हेतु। जन्म मरण के बीच में, सांसों का यह सेतु।। सांसों का यह सेतु, टूट जिस दिन भी जाता। निराकर यह जीव, दूसरा ही पथ पाता। ‘ठकुरेला’ कविराय, …

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शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 5

शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 5 शाश्वत   आगे बढ़ता साहसी, हार मिले या हार। नयी ऊर्जा से भरे, बार-बार हर बार।। बार- बार हर बार, विघ्न से कभी न डरता। खाई हो कि पहाड़, न पथ में चिंता करता। ‘ठकुरेला’ कविराय, विजय रथ …

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शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 4

शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 4 शाश्वत *** भाषा में हो मधुरता, जगत करेगा प्यार। मीठे शब्दों ने किया, सब पर ही अधिकार। सब पर ही अधिकार, कोकिला किसे न भाती। सब हो जाते मुग्ध, मधुर सुर में जब गाती। ‘ठकुरेला’ कविराय, जगाती मन …

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शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 3

शाश्वत-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 3 शाश्वत अपनी अपनी अहमियत, सूई या तलवार। उपयोगी हैं भूख में, केवल रोटी चार।। केवल रोटी चार, नहीं खा सकते सोना । सूई का कुछ काम, न तलवारों से होना । ‘ठकुरेला’ कविराय, सभी की माला जपनी । …

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