सावन-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 8

सावन-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 8   सावन सावन बरसा जोर से, प्रमुदित हुआ किसान। लगा रोपने खेत में, आशाओं के धान।। आशाओं के धान, मधुर स्वर कोयल बोले। लिये प्रेम-संदेश, मेघ सावन के डोले। ‘ठकुरेला’ कविराय, लगा सबको मनभावन। मन में भरे उमंग, …

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होली-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 7

होली-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला  -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By  Trilok Singh Thakurela   Part  7 होली होली है सुखदायिनी, रस बरसे हर ओर। ढोल नगाड़े बज रहे, गली गली में शोर।। गली गली में शोर, छा रही नई जवानी। भूले लोक- लिहाज, कर रहे सब मनमानी। ‘ठकुरेला’ कविराय, मधुरता ऐसी घोली। मन में …

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हिन्दी-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 6

हिन्दी-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 6 हिन्दी   हिन्दी भाषा अति सरल, फिर भी अधिक समर्थ। मन मोहे शब्दावली, भाव, भंगिमा, अर्थ।। भाव, भंगिमा, अर्थ, सरल है लिखना, पढ़ना। अलंकार, रस, छंद, और शब्दों का गढ़ना। ‘ठकुरेला’ कविराय, सुशोभित जैसे बिंदी। हर प्रकार सम्पन्न, …

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