सावन-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 8
सावन-काव्यगंधा -कुण्डलिया संग्रह -त्रिलोक सिंह ठकुरेला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Trilok Singh Thakurela Part 8 सावन सावन बरसा जोर से, प्रमुदित हुआ किसान। लगा रोपने खेत में, आशाओं के धान।। आशाओं के धान, मधुर स्वर कोयल बोले। लिये प्रेम-संदेश, मेघ सावन के डोले। ‘ठकुरेला’ कविराय, लगा सबको मनभावन। मन में भरे उमंग, …