एक शबे-ग़म वो भी थी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहायें-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
एक शबे-ग़म वो भी थी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहायें-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri एक शबे-ग़म वो भी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहाएँ एक शबे-ग़म ये भी है जिसमें ऐ दिल रो-रो के सो जाएँ। जाने वाला घर जायेगा काश, ये पहले सोचा होता हम …