शायरी -श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht Part 5
शायरी -श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht Part 5 47- रातभर उनकी यादों की तन्हाइयां डंसती रही सुबह तक ख्वाब मुकमल ना हो पाया, हाय यह ज़ालिम कैसा प्यार फिर कोई आशिक रात भर न सो पाया । _ ए खुदा उनके ही घर के आगे से मेरा जनाजा निकले …