शायरी-मीर तक़ी मीर-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Mir Taqi Mir Poetry/Shayari part 14
शायरी-मीर तक़ी मीर-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Mir Taqi Mir Poetry/Shayari part 14 ऐ हुबे-जाह वालो जो आज ताजवर है ऐ हुबे-जाह वालो जो आज ताजवर है कल उसको देखीयो तुम न ताज है न सर है अब के हवा-ए-गुल में सेराबी है निहायत जू-ए-चमन पे सबज़ा मिज़गाने-चशमेतर है शमए-अख़ीरे-शब हूं सुन सरगुज़शत मेरी फिर …