शायद यही प्यार है, शायद यही प्यार है-विकास कुमार गिरि -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vikas Kumar Giri
शायद यही प्यार है, शायद यही प्यार है-विकास कुमार गिरि -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vikas Kumar Giri जब से तुम रूठी हो तब से दिल ये टूटा है अब मैंने जाना है लोग इसमें क्यों बीमार है शायद यही प्यार है, शायद यही प्यार है| जबसे तुमसे ना मिला हूँ ना नींद है बस …