शाम: दो मनःस्थितियाँ-सात गीत-वर्ष -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

शाम: दो मनःस्थितियाँ-सात गीत-वर्ष -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati एक: शाम है, मैं उदास हूँ शायद अजनबी लोग अभी कुछ आयें देखिए अनछुए हुए सम्पुट कौन मोती सहेजकर लायें कौन जाने कि लौटती बेला कौन-से तार कहाँ छू जायें! बात कुछ और छेड़िए तब तक हो दवा ताकि बेकली …

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