शाम-दस्ते-तहे-संग -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
शाम-दस्ते-तहे-संग -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz इस तरह है कि हर इक पेड़ कोई मन्दिर है कोई उजड़ा हुआ, बे-नूर पुराना मन्दिर ढूंढता है जो ख़राबी के बहाने कब से चाक हर बाम, हर इक दर का दम-ए-आख़िर है आसमां कोई पुरोहित है जो हर बाम तले जिसम पर राख …