दम ग़नीमत है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

दम ग़नीमत है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi देख, टुक ग़ाफिल चमन को गुल फ़िशानी फिर कहां? यह बहारें, ऐश, यह शोरे जवानी फिर कहां? साकीयो मुतरिब, शराबे अर्ग़वानी फिर कहां? ऐश कर खू़बां में, ऐ दिल शादमानी फिर कहां? शादमानी गर हुई, तो ज़िन्दगानी फिर कहां?॥1॥ यह …

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