शाख़ पर ख़ूने-गुल रवाँ है वही-ज़िन्दां-नामा-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz

शाख़ पर ख़ूने-गुल रवाँ है वही-ज़िन्दां-नामा-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz शाख़ पर ख़ूने-गुल रवाँ है वही शोख़ी-ए-रंगे-गुलसिताँ है वही सर वही है तो आस्ताँ है वही जाँ वही है तो जाने-जाँ है वही अब जहाँ मेहरबाँ नहीं कोई कूचः-ए-यारे-मेहरबाँ है वही बर्क़ सौ बार गिरके ख़ाक हुई …

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