Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh 598

Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh 598 मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगत सिंह मीर तक़ी मीर-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh गोरिस्तान-ए-शाही-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh साक़ी-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi …

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मीर तक़ी मीर-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

मीर तक़ी मीर-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh शमए-आख़ीर-शब हूं सुन सरगुज़शत मेरी फिर सुबह होने तक तो किस्सा ही मुख़तसर है ————- Full ऐ हुबे-जाह वालो जो आज ताजवर है कल उसको देखीयो तुम न ताज है न सर है अब के हवा-ए-गुल में सेराबी है निहायत जू-ए-चमन पे सबज़ा मिज़गाने-चशमेतर …

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गोरिस्तान-ए-शाही-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

गोरिस्तान-ए-शाही-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh आसमाँ बादल का पहने ख़िरक़ा-ए-देरीना है कुछ मुकद्दर सा जबीन-ए-माह का आईना है चाँदनी फीकी है इस नज़्ज़ारा-ए-ख़ामोश में सुब्ह-ए-सादिक़ सो रही है रात की आग़ोश में किस क़दर अश्जार की हैरत-फ़ज़ा है ख़ामुशी बरबत-ए-क़ुदरत की धीमी सी नवा है ख़ामुशी बातिन-ए-हर-ज़र्रा-ए-आलम सरापा दर्द है और …

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साक़ी-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

साक़ी-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh नशा पिला के गिराना तो सबको आता है, मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी। जो बादाकश थे पुराने वे उठते जाते हैं कहीं से आबे-बक़ाए-दवाम ले साक़ी। कटी है रात तो हंगामा-गुस्तरीं में तेरी, सहर क़रीब है अल्लाह का नम ले साक़ी।

मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे नज़्ज़ारे की हवस हो तो लैला भी छोड़ दे वाइज़ कमाल-ए-तर्क से मिलती है याँ मुराद दुनिया जो छोड़ दी है तो उक़्बा भी छोड़ दे तक़लीद की रविश …

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ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा सुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा गुज़र गया अब वो दौर-ए-साक़ी कि छुप के पीते थे पीने वाले बनेगा सारा जहान मय-ख़ाना हर कोई बादा-ख़्वार होगा कभी …

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डा. मुहम्मद इकबाल-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

डा. मुहम्मद इकबाल-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh जो शाख-ए- नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना पाएदार होगा खुदा के आशिक़ तो हैं हजारों बनों में फिरते हैं मारे-मारे मै उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा मैं ज़ुल्मते शब में ले के निकलूंगा अपने दर मांदा कारवां को शरर …

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संपूर्ण ग़ज़ल-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

संपूर्ण ग़ज़ल-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh बस कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना गिरियां चाहे है ख़राबी मिरे काशाने की दर ओ दीवार से टपके है बयाबाँ होना वा-ए-दीवानगी-ए-शौक़ कि हर दम मुझ को आप जाना उधर और आप ही हैराँ होना …

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मिर्ज़ा ग़ालिब-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

मिर्ज़ा ग़ालिब-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh इशरते कत्ल गहे अहले तमन्ना मत पूछ इदे-नज्जारा है शमशीर की उरियाँ होना की तेरे क़त्ल के बाद उसने ज़फा होना कि उस ज़ुद पशेमाँ का पशेमां होना हैफ उस चारगिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब जिस की किस्मत में लिखा हो आशिक़ का गरेबां होना …

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‘ग़ालिब’-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

‘ग़ालिब’-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता तिरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अहद बोदा कभी तू न …

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