मेरी हवाओं में रहेगी, ख़यालों की बिजली -शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh 

मेरी हवाओं में रहेगी, ख़यालों की बिजली -शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh   फ़ना नहीं है मुहब्बत के रंगो बू के लिए बहार आलमे-फ़ानी रहे रहे न रहे । जुनूने हुब्बे वतन का मज़ा शबाब में है लहू में फिर ये रवानी रहे रहे न रहे । रहेगी आबो-हवा में ख़याल की बिजली …

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उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh 

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है (पाठांतर) उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है? हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है? …

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तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh 

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को कि मैं आपका सामना चाहता हूँ कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहले-महफ़िल चिराग़े-सहर …

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उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है? हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है? दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें, सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। कोई दम का मेहमान …

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