शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 1

शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 1 आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया अहबाब का सुलूक भी कितना अजीब था नहला धुला के मिट्टी को मिट्टी पे रख दिया आओ …

Read more

शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 2

शहदाबा -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Shahdaba Part 2 अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया तेरी कलाई से ये कड़ा भी उतर गया वो मुतमइन बहुत है मिरा साथ छोड़ कर मैं भी हूँ ख़ुश कि क़र्ज़ मिरा भी उतर गया …

Read more