शमसान-उमेश दाधीच -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umesh Dadhich
शमसान-उमेश दाधीच -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umesh Dadhich मंजर मंजर तुमको गाया फिर खुद से अंजान हुये । तुमको खोकर जले हैं ऐसे तन मन सब शमशान हुये ।। तुम बिन ये एकाकी जीवन मौत की एक इकाई है । जनम जनम का बंधन है ये या जन्मों जन्मों की खाई …