शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाजु रे- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib  रे मन कउन गति होइ है तेरी- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib रामु भजु रामु …

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बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाजु रे- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाजु रे- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib बीत जैहै बीत जैहै जनमु अकाजु रे ॥ निसि दिनु सुनि कै पुरान समझत नह रे अजान ॥ कालु तउ पहूचिओ आनि कहा जैहै भाजि रे ॥1॥रहाउ॥ असथिरु जो …

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 रे मन कउन गति होइ है तेरी- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

रे मन कउन गति होइ है तेरी- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib रे मन कउन गति होइ है तेरी ॥ इह जग महि राम नामु सो तउ नही सुनिओ कानि ॥ बिखिअन सिउ अति लुभानि मतिनाहिन फेरी ॥1॥रहाउ॥ मानस को जनमु …

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रामु भजु रामु भजु जनमु सिरातु है- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

रामु भजु रामु भजु जनमु सिरातु है- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib रामु भजु रामु भजु जनमु सिरातु है ॥ कहउ कहा बार बार समझत नह किउ गवार ॥ बिनसत नह लगै बार ओरे सम गातु है ॥1॥रहाउ॥ सगल भरम डारि …

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रामु सिमरि रामु सिमरि इहै तेरै काजि है- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

रामु सिमरि रामु सिमरि इहै तेरै काजि है- शब्द-रागु जैजावंती महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib रामु सिमरि रामु सिमरि इहै तेरै काजि है ॥ माइआ को संगु तिआगु प्रभ जू की सरनि लागु ॥ जगत सुख मानु मिथिआ झूठो सभ साजु है ॥1॥रहाउ॥ …

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मन करि कबहू न हरि गुन गाइओ- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

मन करि कबहू न हरि गुन गाइओ- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib मन करि कबहू न हरि गुन गाइओ ॥ बिखिआसकत रहिओ निसि बासुर कीनो अपनो भाइओ ॥1॥रहाउ॥ गुर उपदेसु सुनिओ नहि काननि पर दारा लपटाइओ ॥ पर …

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कहा नर अपनो जनमु गवावै- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

कहा नर अपनो जनमु गवावै- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib कहा नर अपनो जनमु गवावै ॥ माइआ मदि बिखिआ रसि रचिओ राम सरनि नही आवै ॥1॥रहाउ॥ इहु संसारु सगल है सुपनो देखि कहा लोभावै ॥ जो उपजै सो …

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कहा मन बिखिआ सिउ लपटाही- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

कहा मन बिखिआ सिउ लपटाही- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib कहा मन बिखिआ सिउ लपटाही ॥ या जग महि कोऊ रहनु न पावै इकि आवहि इकि जाही ॥1॥रहाउ॥ कां को तनु धनु संपति कां की, का सिउ नेहु …

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हरि बिनु तेरो कोन सहाई- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

हरि बिनु तेरो कोन सहाई- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु सारंग महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib हरि बिनु तेरो कोन सहाई ॥ कां की मात पिता सुत बनिता को काहू को भाई ॥1॥रहाउ॥ धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई ॥ तन छूटै …

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कहा भूलिओ रे झूठे लोभ लाग- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु बसंतु हिंडोल महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib

कहा भूलिओ रे झूठे लोभ लाग- शब्द-ੴ सतिगुर प्रसादि रागु बसंतु हिंडोल महला ९-गुरू तेग बहादुर साहिब-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Guru Teg Bahadur Sahib कहा भूलिओ रे झूठे लोभ लाग ॥ कछु बिगरिओ नाहिन अजहु जाग ॥1॥रहाउ॥ सम सुपनै कै इहु जगु जानु ॥ बिनसै छिन मै साची मानु ॥1॥ …

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