ए नेत्रहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए नेत्रहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji ए नेत्रहु मेरिहो हरि तुम महि जोति धरी हरि बिनु अवरु न देखहु कोई ॥ हरि बिनु अवरु न देखहु कोई नदरी हरि निहालिआ ॥ एहु विसु संसारु तुम देखदे एहु हरि का रूपु है हरि रूपु नदरी …

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ए स्रवणहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए स्रवणहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji ए स्रवणहु मेरिहो साचै सुनणै नो पठाए ॥ साचै सुनणै नो पठाए सरीरि लाए सुणहु सति बाणी ॥ जितु सुणी मनु तनु हरिआ होआ रसना रसि समाणी ॥ सचु अलख विडाणी ता की गति कही न जाए ॥ …

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शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

अनदु सुणहु वडभागीहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji ए स्रवणहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji ए नेत्रहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji ए रसना तू अन …

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अनदु सुणहु वडभागीहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

अनदु सुणहु वडभागीहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji अनदु सुणहु वडभागीहो सगल मनोरथ पूरे ॥ पारब्रहमु प्रभु पाइआ उतरे सगल विसूरे ॥ दूख रोग संताप उतरे सुणी सची बाणी ॥ संत साजन भए सरसे पूरे गुर ते जाणी ॥ सुणते पुनीत कहते पवितु सतिगुरु रहिआ भरपूरे …

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आपे दैत लाइ दिते संत जना कउ-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

आपे दैत लाइ दिते संत जना कउ-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji आपे दैत लाइ दिते संत जना कउ आपे राखा सोई ॥ जो तेरी सदा सरणाई तिन मनि दुखु न होई ॥१॥ जुगि जुगि भगता की रखदा आइआ ॥ दैत पुत्रु प्रहलादु गाइत्री तरपणु किछू …

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जह बैसालहि तह बैसा सुआमी-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

जह बैसालहि तह बैसा सुआमी-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji जह बैसालहि तह बैसा सुआमी जह भेजहि तह जावा ॥ सभ नगरी महि एको राजा सभे पवितु हहि थावा ॥१॥ बाबा देहि वसा सच गावा ॥ जा ते सहजे सहजि समावा ॥१॥ रहाउ ॥ बुरा भला …

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जाति का गरबु न करीअहु कोई-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

जाति का गरबु न करीअहु कोई-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji जाति का गरबु न करीअहु कोई ॥ ब्रहमु बिंदे सो ब्राहमणु होई ॥१॥ जाति का गरबु न करि मूरख गवारा ॥ इसु गरब ते चलहि बहुतु विकारा ॥१॥ रहाउ ॥ चारे वरन आखै सभु कोई …

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करमी सहजु न ऊपजै-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

करमी सहजु न ऊपजै-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji करमी सहजु न ऊपजै विणु सहजै सहसा न जाइ ॥ नह जाइ सहसा कितै संजमि रहे करम कमाए ॥ सहसै जीउ मलीणु है कितु संजमि धोता जाए ॥ मंनु धोवहु सबदि लागहु हरि सिउ रहहु चितु लाइ …

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जीअहु निरमल बाहरहु निरमल-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

जीअहु निरमल बाहरहु निरमल-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji जीअहु निरमल बाहरहु निरमल ॥ बाहरहु त निरमल जीअहु निरमल सतिगुर ते करणी कमाणी ॥ कूड़ की सोइ पहुचै नाही मनसा सचि समाणी ॥ जनमु रतनु जिनी खटिआ भले से वणजारे ॥ कहै नानकु जिन मंनु निरमलु …

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जीअहु मैले बाहरहु निरमल-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

जीअहु मैले बाहरहु निरमल-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji जीअहु मैले बाहरहु निरमल ॥ बाहरहु निरमल जीअहु त मैले तिनी जनमु जूऐ हारिआ ॥ एह तिसना वडा रोगु लगा मरणु मनहु विसारिआ ॥ वेदा महि नामु उतमु सो सुणहि नाही फिरहि जिउ बेतालिआ ॥ कहै नानकु …

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