ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें। इस कायनाते-ग़म की फ़सुर्दा फ़ज़ाओं में बिखरा गये हैं आ के वो कुछ मुस्कुराहटें। ऐ जिस्मे-नाज़नीने-निगारे-नज़रनवाज़ शुब्हे-शबे-विसाल तेरी मलगज़ाहटें। पड़ती है आसमाने-मुहब्बत पे छूट-सी बल-बे-जबीने-नाज़ तेरी …