शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh

शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15 बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 19 बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 18 बांग्ला …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15   आकांक्षा का तूफ़ान इस गहन निस्पंद निर्जनता में अँधेरी साँझ की अजस्र निःसंग हवा में तुम उठाओ — बादल की तरह शीतल, चाँद की तरह विवर्ण अपना सफ़ेद ज़र्द चेहरा विराट आकाश की ओर! दूर देश में काँप उठा …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 19

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 19   वे जो वसन्तदिन और एक और एक दिन इसी तरह ढल जाता है पहाड़ के पीछे और हम निःशब्द बैठे रहते हैं। नीचे गाँव से उठ रहा है किसी हल्ले का आभास हम एक-दूसरे का चेहरा देखते हैं। अकड़ी …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 18

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 18 हमको नहीं दी कोई आज भी कटा हाथ, करता है आर्तनाद जंगल में आर्तनाद करता है कटा हाथ — गारो पहाड़ में सिन्धु की दिशाओं में करता है आर्तनाद कटा हाथ   कौन किसे समझाए और लहरें समुद्र की, दिखातीं …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 17

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 17   सिल्चर किसने कहा यह मेरा नहीं? नहीं यह तुम्हारा? यहाँ पाँव रखते ही छिन जाती छिन्नता। तार मिल जाते सब मेरे तुम्हारे मुहूर्त में। उठतीं सिहरतीं सब लहरें आनन्द की सिर से ले पाँव तक। रहता है बहता स्रोत …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 16

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 16 चाहत का तूफ़ान इस छोर से उस छोर तक घूमती नि:शब्द निर्जनता में अन्धेरी शाम की तेज़ अकेली हवा में तुम उठाती हो अपना बादलों-सा ठण्डा, चान्द की तरह पाण्डुर नीरक्त, सफ़ेद चेहरा विपुल आकाश की ओर। दूर देस में …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15   जन्मदिन तुम्हारे जन्मदिन पर और क्या दूँगा इस वायदे के सिवा कि फिर हमारी मुलाक़ात होगी कभी होगी मुलाक़ात तुलसी चौरे पर, होगी मुलाक़ात बाँस के पुल पर होगी मुलाक़ात सुपाड़ी वन के किनारे हम घूमते फिरेंगे शहर में …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 12

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 12 यौवन दिन और रात के बीच परछाइयाँ चिड़ियों के उड़ान की याद आती हैं यूँ भी हमारी आख़िरी मुलाक़ातें ।   तुम उड़ता हूँ और भटकता हूँ दिन भर पथ में ही सुलगता हूँ पर अच्छा नहीं लगता जब तक …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 13

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 13   हवा हुआ तो हुआ, नहीं तो नहीं रखना जीवन को इसी तरह यही नहीं, सीखो कुछ रस्ते पर, गुमसुम बैठी भिखारिन की आँखों के धीर प्रतिवाद से है, यह सब भी है।   कहकर बताता या लिखकर कहकर बताता …

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बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 14

बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 14 बादल के जैसा मनुष्य मेरे सामने से टहलते हुए जाता है वह एक बादल के जैसा मनुष्य उसके शरीर के भीतर प्रवेश करने पर मालूम पड़ता है कि सारा पानी धरती पर झड़ जाएगा । मेरे सामने से टहलते हुए …

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