व्याज मिलन-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

व्याज मिलन-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji सुनि री मैया काल्हिहीं, मोतिसरी गँवाई । सखिनि मिलै जमुना गई, धौं उनही चुराई ॥ कीधौं जलही मैं गई, यह सुधि नहिं मेरैं ! तब तैं मैं पछिताति हौं, कहति न डर तेरैं ॥ पलक नहीं निसि कहुँ लगी, मोहिं सपथ तिहारी …

Read more