व्यथा सब की- चक्रांत शिला अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,

व्यथा सब की- चक्रांत शिला अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, व्यथा सब की, निविड़तम एकांत मेरा । कलुष सब का स्वेच्छया आहूत; सद्यःधौत अन्तःपूत बलि मेरी । ध्वांत इस अनसुलझ संसृति के सकल दौर्बल्य का, शक्ति तेरे तीक्ष्णतम, निर्मम, अमोघ प्रकाश-सायक की!