वो सार है मेरी मगर शीर्षक हो नहीं सकते-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

वो सार है मेरी मगर शीर्षक हो नहीं सकते-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   जो कहना चाहते उनसे वो भाव जुबां पर ला नहीं सकते मचलते है जो उनके ख़्वाब हक़ीक़त उनकी, उन्हें हम पा नहीं सकते बड़ा खूब है उनसे मेरा नए दौर …

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